top of page

कहानियां

Updated: Oct 7, 2020

आज की कहानी उस श्रृंखला की एक कड़ी है जो कहानियां हमने बचपन में सुनी थी।

एक बार पार्वती जी के मन में इच्छा प्रकट हुई कि महादेव हमें पृथ्वी पर भ्रमण करा कर लाए ।उन्होंने यह इच्छा महादेव जी से कहीं । महादेव जी ने पार्वती जी को बहुत समझाया परंतु वह नहीं मानी। महादेव पार्वती जी के हठ के आगे हार गए और पार्वती जी और नंदी को लेकर पृथ्वी लोक में आ गए । पार्वती जी और महादेव जी दोनों नंदी पर बैठे हुए एक गांव से गुजर रहे थे । गांव वालों ने देखा और ताना मारा दोनों कितने हष्ट पुष्ट है तो भी वह नंदी पर बैठे हैं । पार्वती और महादेव जी ने एक दूसरे की तरफ देखा और मुस्कुराए । महादेव जी बोले - पार्वती तुम नंदी पर बैठो मै पैदल चलता हूं । पार्वती जी मान गई । जब वे आगे बढ़े तो गांव वालों ने देखा और बोला कैसी स्त्री है पति पैदल चल रहा है खुद आराम से बैठी है ।पार्वती जी को यह सुन कर लज्जा आ गई और बोली -महादेव आप नंदी पर बैठे। महादेव नंदी पर बैठ गए ।थोड़ी दूर चलने पर कुछ लोगों ने ताना मारा कैसा इंसान है हष्ट पुष्ट होकर भी बैठा है और पत्नी पैदल चल रही है ।पार्वती जी बोली -भोलेनाथ हम दोनों ही पैदल चलते हैं। नंदी को थोड़ा आराम मिल जाएगा । थोड़ी दूर पर गांव वाले बोले- कैसे पति पत्नी है इतना अच्छा बैल साथ में है तो भी पैदल चल रहे हैं । यह सुन पार्वती जी परेशान हो गई और बोली- महादेव आप सही कहते थे कि मैं पृथ्वी के आचार विचार का सामना नहीं कर पाऊंगी इसलिए हम कैलाश पर वापस चलते हैं।

यह तो मात्र कहानी है पर कहीं ना कहीं हम इन्हीं विचारों का सामना कर रहे हैं । हम दूसरे के हिसाब से अपना आंकलन करते हैं परंतु अगर हम अपने कर्म और विचारों पर अमल करें तो दूसरे थोड़े दिनों में ही आप व्यंग करना बंद कर देंगे ।

मन में इतनी दृढ़ता रखें कि दूसरों के विचार आकर टकराकर वापस चले जाए।
ree

 
 
 

Recent Posts

See All
समदृष्टि

आज कविता सुबह-सुबह कार्य में व्यस्त थी क्योंकि आज उसकी सासू मां तीर्थ कर लौट रही थी।कविता के दरवाजे की घंटी बजी तो वह हाथ का काम छोड़ कर...

 
 
 

Comments


bottom of page