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ज़िद

रमा उस दिन सब्जी लेने बाजार गई हुई थी । अंशु और रिनी , उसके बच्चे अपने पिता के साथ घर में खेल रहे थे ।जब थोड़ी देर में वह सब खेल कर थक गए कर बैठ गए , तो पिता ने कहा - अब दस मिनट बाद सब एक-एक करके नहाने जाएंगे। रिनी ने तो पिता की बात मान ली पर अंशु का मन अलकसा सा गया था , लेकिन रिनी और उसके पापा अंशु के पीछे ही पड़ गए । पापा कह रहे थे मम्मी के आने से पहले नहा ले पर वह नहीं माना । पापा की बात ना मानते देख रिनी ने भी उसको जोर से डांट दिया। अब तो अंशु ने जिद पकड़ ली कि वह आज नहीं नहायेगा । उसकी जिद को देख सब अपने-अपने काम में लग गए ।जब रमा घर में घुसी तो परीस्थिति को भाप गई । उसने अंशु से कहा - बेटा देख मैं तेरे लिए चॉकलेट लाई हूं ,जल्दी से नहा ले और आकर ले ले ।अंशु ने अपनी मां का प्यार भरा आग्रह तुरंत स्वीकार कर लिया।

यह सत्य है कि किसी भी जिद्दी व्यक्ति को आप उसके मन के विरुद्ध जाकर काम नहीं करा सकते । व्यक्ति के मन में पड़ी हुई गाँठ को पहले खोलना पड़ेगा। तभी हमारी कोई बात उसके मन तक पहुंचती है और वह उसे स्वीकार करने को तैयार हो जाता है इसलिए याद रखेगा कि हो सकता है आपके स्नेह भरे शब्द किसी के मन की गाँठ खोल दें और आपको भी अपार सुख देकर जाए।

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