अक्सर हम कहते हैं कि जब हम कष्ट में थे तो हमारा साथ देने कोई नहीं आया लेकिन ऐसे समय में किसी को दोष नहीं देना चाहिए ।जब ईश्वर आपको तराश रहा होता है तो वह आपको आपके सहारो से दूर कर देता है ।जिससे आप अपने सहारे चलने में समर्थ हो जाए और आगे आने वाली परिस्थितियों का सामना अकेले अपने आत्मबल के सहारे कर सकें इसलिए ईश्वर को हर परिस्थिति के लिए धन्यवाद दें।
एक साधारण से पत्थर को भी तराश कर ही हीरा बनाया जाता है ऐसे ही एक साधारण जीवन भी परिस्थितियों और व्यक्तियों के आवागमन से ही एक उत्कृष्ट जीवन बनता है।
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