हमारे जीवन में ऊर्जा का बहुत बड़ा महत्व है । ऊर्जा सकारात्मक भी हो सकती है और नकारात्मक भी हो सकती है । आज हम नकारात्मक ऊर्जा से जूझ रहे हैं ।इसके कई कारण हो सकते हैं।
बचपन में हमें पहली सकारात्मकता सूर्य से मिलती थी पहले खुले घर होते थे ।तब हर किसी को अलग कमरा या घर नहीं चाहिए होता था ।फिर बड़ों के चरण स्पर्श करना और उनका सर पर हाथ रख कर आशीर्वाद देना यह भी ऊर्जा का आदान-प्रदान ही था ।आज हम यह सब कहां करते हैं । घर में मम्मी ताई जी के हाथ का बना खाना पूरे परिवार को सकारात्मकता देकर जाती थी । मन से और एकाग्रता से बनाया हुआ भोजन ऊर्जा का ही स्त्रोत होता था ।आज हम ना तो मन से खाना बनाते हैं ना ही घर का खाना खाना चाहते हैं। घर पर ही दादाजी और बड़े भाई बहनों द्वारा पढ़ाया जाना अच्छा लगता था ।जो ज्ञान उन्होंने अर्जित किया वह आगे छोटो के काम आता था। इस तरह बड़ों की सकारात्मक ऊर्जा पूरे परिवार को बांध कर रखती थी और वही ऊर्जा आगे समाज और देश के लिए भी हितकर होती थी। आज हम ऊर्जावान तो हैं पर ऊर्जा का संचार आगे नहीं हो रहा है क्योंकि हम उसका प्रयोग ना अपनों पर और ना ही आसपास के लोगों पर कर पाते हैं और वह एकत्रित हो जाती है तो नकारात्मकता पैदा करती है इसलिए आज हम घर से बाहर भागना चाहते हैं जो कि हमारे देश और परिवार के लिए हितकर नहीं है।
हम इस आशा के साथ आगे बढ़े कि हम अपनी ऊर्जा का प्रयोग सही दिशा में करेंगे।
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