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संरक्षण

संरक्षण शब्द को परिभाषित करना कठिन है और उसकी सीमाओं की व्याख्या और भी कठिन है माता-पिता को बच्चों को कितना और कब तक संरक्षण देना चाहिए यह तय करना मुश्किल है ।जब बच्चा चलना सीखता है तो हम उसके पीछे पीछे चलते हैं लेकिन जब वह चलना सीख जाए तो भी हम उसके साथ साथ चले तो वह बहुत दुखी हो जाएगा ।ऐसे ही बच्चे को थोड़े-थोड़े नकारात्मक विचारों ,परिस्थितियों का भी सामना करने देना चाहिए क्योंकि जब आप के संरक्षण से निकलेंगे तो बाहर की परिस्थितियों को नहीं झेल पाएंगे।

कुछ समय के बाद यह परिस्थितियां बदल जाती हैं बच्चों को अपने माता-पिता को कितना संरक्षण देना चाहिए ।यह भी सोचने का विषय है ।जो अपने जीवन के उतार-चढ़ाव देख कर चलना सीखे हो एकदम से उनके विचारों को नियंत्रित करना कठिन है ।जब बच्चे और माता-पिता दोनों ठीक से चलना सीख जाएं तो उन्हें एक दूसरे को थामने से ज्यादा किसी ऐसे इंसान पर ध्यान देना चाहिए जो सच में चलने में असमर्थ हो ।अपने जीवन में इस आशा के साथ आगे बढ़े कि हम उन लोगों का हाथ पकड़े जो सच में चलने में असमर्थ है।


 
 
 

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