जिस पात्र में बहुत सारे छेद हो उसमें पानी नहीं भरा जा सकता। जब यह छिद्र बंद हो जाएंगे तभी इस में पानी भर सकते हैं। ऐसे ही जब तक हमारे अंदर ढेर सारे अवगुण जैसे क्रोध मोह लोभ अहंकार यह सब रहेंगे तब तक हम किसी भी सफलता को हासिल नहीं कर सकते हैं। बना हुआ काम या तो क्रोध करके बिगाड़ लेंगे या अहंकार करके उसे खो देंगे। इसलिए एक पात्र का सुपात्र होना बहुत ही कठिन कार्य है। इसके लिए निश्चय और संयम की आवश्यकता होती है।
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