top of page

सुपात्र

जिस पात्र में बहुत सारे छेद हो उसमें पानी नहीं भरा जा सकता। जब यह छिद्र बंद हो जाएंगे तभी इस में पानी भर सकते हैं। ऐसे ही जब तक हमारे अंदर ढेर सारे अवगुण जैसे क्रोध मोह लोभ अहंकार यह सब रहेंगे तब तक हम किसी भी सफलता को हासिल नहीं कर सकते हैं। बना हुआ काम या तो क्रोध करके बिगाड़ लेंगे या अहंकार करके उसे खो देंगे। इसलिए एक पात्र का सुपात्र होना बहुत ही कठिन कार्य है। इसके लिए निश्चय और संयम की आवश्यकता होती है।

 
 
 

Recent Posts

See All
समदृष्टि

आज कविता सुबह-सुबह कार्य में व्यस्त थी क्योंकि आज उसकी सासू मां तीर्थ कर लौट रही थी।कविता के दरवाजे की घंटी बजी तो वह हाथ का काम छोड़ कर...

 
 
 

Comments


bottom of page