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सुनहरे पल

Writer's picture: Sangeeta AgrawalSangeeta Agrawal

आज हम अपने जीवन का वह पल लिखने जा रहे हैं ।जिसकी खुशबू आज भी हमारी यादों में है । वह पल जिसका इंतजार हमें सवेरे से रहता था।

गर्मी की तपन कम होते ही शाम को हम सब बच्चे छोटी बड़ी बाल्टियो में पानी भरकर छत पर ले जाते और छत के उस भाग को पानी से ठंडा करते जहां हमें रात को सोना होता था । रात को खाना खाने के बाद हम सब छत पर जाते वहां पर बिस्तर बिछाये जाते । तब वह सुनहरा पल आता जिसका हमे इंतजार रहता था । तारों की छांव में लेट कर पापा से कहानी सुनना आज भी नही भूलता है । मन में उमडते हुए प्रश्नों का उत्तर भी तभी मिलता था।

बचपन में हृदय पर पड़ी छाप अमिट होती है । बच्चों के कोमल ह्रदय को सरलता से अपनी बात समझाने का माध्यम होती है कहानियां।

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