प्रभु श्री राम जी ने कहा -विष चंद्रमा का बहुत प्यारा भाई है । इसी से उसने विष को अपने हृदय में स्थान दे रखा है ।विष युक्त अपने किरण समूह को फैलाकर हर योगी नर नारियों को जलाता रहता है।
हनुमान जी ने कहा हे प्रभु सुनिए चंद्रमा आपका प्रिय दास है। आपकी सुंदर श्याम मूर्ति चंद्रमा के हृदय में बसती है । वही श्यामता की झलक चंद्रमा में है।
लंका कांड पेज नंबर 676
यह सत्य है कि जब हमारे हृदय में दुख होता है ।तो हमें अपने चारों तरफ सब नकारात्मक चीजें ही होती हुई प्रतीत होती है । लेकिन उस समय हनुमान जी जैसा कोई मित्र हमें संभालने वाला मिल जाए तो जीवन सफल हो जाता है।

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