शरण का अर्थ है आश्रय यदि कोई आप की शरण में आए तो उसकी अपने प्राणों को भी त्याग कर रक्षा करना और उसको सद मार्ग पर ले जाना या सद्गति देना।
किसी को भी आश्रय सोच समझ कर दें क्योंकि आश्रय देने के बाद में इतना निश्चित ना हो जाए कि वह आपका ही फायदा उठाने लगे अगर ऐसा करें तो भी उसे सही मार्ग पर लाने के लिए कठोर कदम उठाना चाहिए ।शरणागति बड़ी आनंद दायक होती है । अगर सच्चे मन से जाया जाए तब आपका अपना कुछ भी नहीं रह जाता ।हम अपना सब कुछ समर्पित कर देते हैं । एक निश्चिंता का एहसास की कोई तो है संभालने के लिए है । चाहे यह शरण हम ईश्वर के चरणों में ले या किसी इंसान के दोनों में गति एक ही होती है । विभीषण ने भी कष्ट के समय में राम की शरण ली । राम ने उनके कष्टों का निवारण कर उनका राज्याभिषेक किया । एक तरह से शिष्य भी गुरु की शरण में होता है। जो उसे सदमागृ दिखाकर उसे उस पर चलने के लिए प्रेरित करता है।
किसी को शरण देना कठिन है क्योंकि उसके सब दुख आपके हो जाते हैं लेकिन किसी की शरण में जाना बड़ा आनंद दायक होता है क्योंकि आपके सब कष्ट उसके हो जाते हैं और ऐसी शरणागति अगर ईश्वर के प्रति हो तो बड़ी सुखदाई होती है । इस पर विचार करिएगा और अमल भी।
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