आज के परिवेश में रिश्तो के होते हुए भी हम बहुत अकेला सा महसूस करते हैं क्योंकि हम बहुत से एहसासों को भूल गए हैं वह बड़ों का डांटना और छोटों का चुपचाप सुनना और वह छोटो का रूठ ना या गुस्सा होना और बड़ों का मनाना यह सब हम कहीं भूल गए हैं परिवार की कोई समस्या हमें समस्या नहीं लगती थी क्योंकि उस समस्या को पूरा परिवार मिलकर एक होकर उसका सामना करता था हम एक दूसरे को सुनते थे और दूसरों की भावनाओं का सम्मान करते थे परंतु आज हमारे पास ना तो दूसरों को सुनने का समय है ना उनकी भावनाओं का सम्मान करने का समय है इसीलिए आज हम अकेले हैं|

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