डिप्रेशन एक कुएं में गिरे हुए व्यक्ति के समान होता है ।उसे ऊपर का रास्ता तो दिख रहा है पर वह निकलने की हिम्मत नहीं कर पाता । उनके चारों तरफ तमाशा देखने वाले खड़े हैं तो कुछ रस्सी भी डाल देते हैं कि वह इसे पकड़ कर ऊपर आ जाये पर ऐसे विरले ही होते हैं जो उसके लिए नीचे उतरते हैं और उसे साहस दिलाकर ऊपर साथ लेकर आते हैं।
असल जिंदगी में हम मानसिक रूप से असफलता और नकारात्मकता के कुएं में गिर जाते हैं। कुछ ना कर पाने का मानसिक बोझ धीरे-धीरे कुएँ में नीचे की ओर ले जाता है। ऐसा लगता है कि एक अनदेखी की चीज आपको नीचे खींच रही है । एक समय ऐसा आता है की हताश होकर वह बैठ ही जाता है । ऐसे बैठे हुए इंसान को उठा कर ऊपर लाना आसान नहीं होता है इस कार्य को वही व्यक्ति कर सकता है जो उसे बहुत प्यार करता हो। वही उसे उसके अच्छे किए हुए कामों को याद दिला कर उसका साहस बढ़ाता है । उसकी उसी से पहचान कराता है । आपने इतने अच्छे काम किए हैं और इतने अच्छे काम अभी आपको और करने हैं । उसके अंदर आत्मविश्वास का दीपक जलाने पर ही हम उसे बाहर निकाल सकते हैं । जब भी आपको नकारात्मकता सताए तो आप तुरंत ही उस काम से जुड़ जाए जो आपके हृदय के बहुत करीब हो। जिसको करने से आपको मानसिक संतुष्टि मिलती हो। पहले अपने आप को तरोताजा कर ले फिर वापस काम पर लौटे।
अगर आप कभी डिप्रेशन से बाहर निकले हो तो जीवन में दूसरों को सहारा देकर जरूर बाहर निकाल लीजिएगा ।अपनी जड़ों से दूर हो जाना ही इसका मूल कारण है और उसको अपनी जड़ों से जोड़ देना ही किसी भी जिंदगी को बाहर निकालना है।
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