Sangeeta Agrawal

Oct 17, 20201 min

श्रीरामचरितमानस

"नीच का झुकना (नम्रता )भी अत्यंत दुखदाई होती है । जैसे -अंकुश ,धनुष, सांप और बिल्ली का झुकना ।हे भवानी !दुष्ट की मीठी वाणी भी उसी प्रकार भय देने वाली होती है , जैसे बिना ऋतु के फूल।"

अरण्यकांड पेज नंबर 560 ,दोहा नंबर 24

यह भाव महादेव जी ने माता पार्वती जी से तब कहे , जब राम को एहसास हो गया कि सीता हरण के लिए रावण का कुचक्र प्रारंभ हो गया है। तभी राम ने सीता को अग्नि को समर्पित कर सुरक्षित कर दिया और उनकी छाया को कुटिया में वास दिया।

आज हमें यह समझना बहुत मुश्किल है कि कौन हमारा हितकारी है और कौन हमारे सामने मीठा होते हुए भी अंदर से कड़वा है इसलिए अपने आप को उतना ही व्यक्त करें जितना जरूरी है ।

अपने व्यक्तित्व के सारे पत्ते किसी के सामने नहीं खोलने चाहिए। तुरुप का इक्का हमेशा बचा कर रखना चाहिए। सजग रहो और मस्त रहो।

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