Sangeeta Agrawal

Oct 24, 20201 min

अभ्यास

Updated: Oct 25, 2020

हमारे शास्त्रों में कहा गया है कि मानव जीवन हमें उद्धार के लिए मिला है, लेकिन यह भी सत्य है कि कोई भी इंसान सर्वगुण संपन्न नहीं होता है । हम अपने संस्कारों ज्ञान और अनुभव के आधार पर अपने कर्म का निर्धारण करते हैं परंतु जब हम किसी दूसरे स्थान या व्यक्ति के बीच जाते हैं तो हमारा ज्ञान और अनुभव उनका सामना करने के लिए शायद अनुकूल नहीं होता है। तब हमें अपने संस्कारों को दृढ़ता से पकड़ते हुए स्थिति के अनुसार बदलना पड़ता है । हमने मनोविज्ञान में एक सिद्धांत पढ़ा था ट्रायल एंड एरर । हम जब जीवन पथ पर चलते हैं तो हमसे भी बहुत ही गलतियां हो जाती हैं। गलती होने पर उसके एहसास में डूब जाना गलत है फिर से इस एहसास के साथ खड़े हो जाओ कि हम से ऐसी गलती हो गई परंतु अगर किसी दूसरे से ऐसी गलती हो तो हम उसे थाम लेंगे ।जो चलते हैं वही गिरते हैं । हमारा गिरना और हिम्मत करके उठना हमें अंदर से मजबूत बना देता है । जब हम मजबूत होंगे तभी किसी को मजबूत बना पाएंगे।

जीवन में अपने गिरने से दुखी मत हो । जो गिर कर संभल जाते हैं, वही घर ,समाज और देश की सेवा करने में सक्षम होते हैं।

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